पराधीनता के पिंजरे को, तोड़कर दिलशाद हुए,
कतरा-कतरा खून शहादत, देकर हम आजाद हुए।
नेहरु, गाँधी, लाज, भग्त सिंह, आजादी के परवाने,
चन्द्र, बोस के वीर सेनानी, भारत मां के दीवाने।
भीम राव की कलम से उभरे, गणतन्त्र आबाद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत, देकर हम आजाद हुए।
तीन रंग का यह तिरंगा, तीन लोक की लाज है,
भारत माता के रखवालो, हम को तुम पर नाज़ है।
पीकर जाम शहादत वाला, तुम जंगे उस्ताद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत, देकर हम आजाद हुए।
टुकड़े करके चले फिरंगी, हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
लूट लिए अनमोल खजाने, छोड़ गए हिन्द-पाक लड़ाई।
कुर्बानी की आग में तपकर, फिर भी हम फौलाद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत देकर हम आजाद हुए।
लोकतन्त्र को यह गणतन्त्र, दे रहा है शुभ सन्देश,
भारत माता के आँचल में, खुशियां महके अपना देश।
बुरी नजर से तकने वाले, सब दुश्मन बर्बाद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत, देकर हम आजाद हुए।
ऐ वतन हमको कसम है, तेरी शान बढ़ाएंगे,
ऐसे शुभ अवसर पै तिरंगा, ऊँचा हम फहराएंगे।
दे सबको 'अनीस मुबारक, युग पुरुषोतम याद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत देकर हम आजाद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत, देकर हम आजाद हुए।
नेहरु, गाँधी, लाज, भग्त सिंह, आजादी के परवाने,
चन्द्र, बोस के वीर सेनानी, भारत मां के दीवाने।
भीम राव की कलम से उभरे, गणतन्त्र आबाद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत, देकर हम आजाद हुए।
तीन रंग का यह तिरंगा, तीन लोक की लाज है,
भारत माता के रखवालो, हम को तुम पर नाज़ है।
पीकर जाम शहादत वाला, तुम जंगे उस्ताद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत, देकर हम आजाद हुए।
टुकड़े करके चले फिरंगी, हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
लूट लिए अनमोल खजाने, छोड़ गए हिन्द-पाक लड़ाई।
कुर्बानी की आग में तपकर, फिर भी हम फौलाद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत देकर हम आजाद हुए।
लोकतन्त्र को यह गणतन्त्र, दे रहा है शुभ सन्देश,
भारत माता के आँचल में, खुशियां महके अपना देश।
बुरी नजर से तकने वाले, सब दुश्मन बर्बाद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत, देकर हम आजाद हुए।
ऐ वतन हमको कसम है, तेरी शान बढ़ाएंगे,
ऐसे शुभ अवसर पै तिरंगा, ऊँचा हम फहराएंगे।
दे सबको 'अनीस मुबारक, युग पुरुषोतम याद हुए।
कतरा-कतरा खून शहादत देकर हम आजाद हुए।
very nice poetry
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