Sunday, April 24, 2011

मुलाकात की चाहत

दिल के आईने में बसी, मेरे ख्वाबों की तस्वीर है,
हाथ की रेखा में उभरी, वो मेरी तकदीर है।

तड़प है मिलने की दिल में, मदभरी उमंग है,
लगता है जाने क्यों जैसे, उम्र भर का संग है।
कायल मृगनयनी हुई यह, मिलन की तासीर है।
हाथ की रेखा में उभरी, वो मेरी तकदीर है।

सरकता आँचल हवा के, संग  लहराता हुआ,
छू कर दामन को मचलता, जाए बल खाता हुआ।
बहता जाए लहरें बन कर, मन भी कैसा नीर है।
हाथ की रेखा में उभरी, वो मेरी तकदीर है।

कल सुबह मंज़िल   की चाहत, में नया खुमार है,
आज तन्हा रात बे-बस, हो चुकी लाचार है।
किस्सा सदियों का 'अनीस, वो मेरी दिलगीर है।
हाथ की रेखा में उभरी, वो मेरी तकदीर है।

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